Bollywood Movie Dialogues: सबसे यादगार और दमदार डायलॉग्स
- एक बार जो मेने कमिटमेंट करदी तो फिर में खुदको भी नहीं सुनता। (Wanted movie salman khan 2009)
- पांडे लंडिया तो हम लेकर जायेंगे और तुमरे सामने लेकर जायेंगे अब दबा दे घोडा। (Dabangg2 movie salman khan arbaz khan 2012)
- कमाल करते हो यार गेंदा हमारे बाप को लफड़ा मरोगे लड़की को मंडप से उठा ले जाओगे थाना है, पुलिस है, हम है, क्या प्राप्त हुआ, शादी मुबारख। (Dabangg2 movie salman khan arbaz khan 2012)
- एक सोल्जर ये नहीं पूछता देश ने उसके लिए क्या किया, पूछता है वह देश के लिए क्या कर सकता है। (Pathaan movie shahrukh khan 2023)
- पठान के घर में पार्टी रखोगे मेहमान नवाजी के लिए पठान तो आएगा ही, साथ में पटाखे भी लाएगा। (Pathaan movie shahrukh khan 2023)
- की कौन कम्बख्त बरदास करने को पिता है, हम तो पीते है की यंहा पर बैठ सके तुम्हें देख सके तुम्हें बरदास करसके बेहोस हो सके पारो को भुला सके, लेकिन चंद्रमुखी पारो की याद जो हमे होस भी खोने नहीं देती। (Devdas movie shahrukh khan 2002)
- कितने अच्छे हो तुम और कितने अच्छे हैं तुम्हारे ये उसूल। मेरे अजीज़, इश्क और जंग में कोई उसूल नहीं होते। (Pandmaavat movie ranveer singh deepika padukone 2018)
- उसूल सीख लो, अलाउद्दीन, इंसान बन जाओगे। (Pandmaavat movie ranveer singh deepika padukone 2018)
- उठा-उठा के पटकूंगा, चीर दूंगा, फाड़ दूंगा साले! आ बे, रुक! अगर सातों एक बाप के हैं तो रुक, नहीं तो कसम गंगा माया की, घर में घुसकर मारूंगा, सातों को एक साथ मारूंगा! आ बे, रुक! (Ghatak movie sonny deol 1996)
- हमेशा ये सोचकर रोता रहता था, अगर बेटा होता तो कुश्ती में देश के लिए गोल्ड लाता। ये बात मेरी समझ में नहीं आई कि गोल्ड तो गोल्ड होता है, चाहे बेटा लाए या बेटी। आज के बाद गीता और बबीता झाड़ू-पोछा नहीं करेंगी। आज के बाद वे सिर्फ पहलवानी करेंगी। (Dangal movie amir khan 2016)
- जिसने भी ये सोचा कि मैं डर गया, वो साला अर्थी पे अपना घर गया। राठोड बिक्रम राठोड, मैं नहीं डरता, मौत डरती है मुझसे। मौत में इतना दम नहीं कि मेरे सामने आ सके। अगर तुम में से एक भी आदमी जिंदा बचा या तुम सब से एक मिनट पहले मैं मर गया, तो फिर मेरी ये मूंछें काटना और फिर मुझे जमीन में गाड़ना। (Rowdy rathore movie 2012)
- ठाकुर साहब, बहुत बरस पहले आप रेस खेलने जाया करते थे, और हमेशा एक जगह गाड़ी रखकर अपने जूते पोलिश करवाते थे। मैं आज भी फेंके हुए पैसे नहीं उठाता। (Deewar movie amitabh bachhan 1975)
- शिवाजी राव कहते हैं, "अभी आपकी तनख्वाह है 18,000 रुपये, यानी सालाना दो लाख सोलह हजार। आज तक की टोटल कमाई 20-25 लाख से ज्यादा नहीं हो सकती, फिर भी आपके पास 500 करोड़ की प्रॉपर्टीज कहाँ से आई सर? (Nayak movie anil kapoor 2001)
- आज तुझे खुदा के उस घर भेजूंगा जरूर, लेकिन अगर मन्या का पता बता देगा तो मौत इज्जत से पेश आएगी। (Shootout at wadala movie anil kapoor, sonu sood,tushar kapoor 2013)
- मन्या का पता तो नहीं बताऊंगा, जो मौत दो उसकी उम्र बढ़ा दे वह मौत सर आँखों पर। (Shootout at wadala movie anil kapoor, sonu sood,tushar kapoor 2013)
- अफसोस, एक कायर हिंदू के लिए मरेगा तू। (Shootout at wadala anil movie kapoor, sonu sood,tushar kapoor 2013)
- एक सच्चा मुसलमान दोस्त के लिए जान दे भी सकता है और जान ले भी सकता है, दोस्ती का कोई मजहब नहीं होता। (Shootout at wadala movie anil kapoor, sonu sood,tushar kapoor 2013)
- मजहब तो दुश्मनी का भी नहीं होता। ठीक है, खुदा के इस घर से निकलते ही खुदा के उस घर जाने की तैयारी कर ले। (Shootout at wadala movie anil kapoor, sonu sood,tushar kapoor 2013)
- तुम लोगों के भेजे में बात तो जाती नहीं, सिर्फ गोली जाती है। और देखना, एक ना एक दिन तुम लोगों की लाश किसी गली में पड़ी मिलेगी। (Shootout At Lokhandwala movi bivek oberio, sanjay dutt,tushar kapoor 2007)
- शायद अपुन फिरसे मिलेंगे या नहीं, पता नहीं। पर तुमसे मिलके अच्छा लगा। (Shootout At Lokhandwala movie bivek oberio, sanjay dutt,tushar kapoor 2007)
- सिंघम, तुझे पता है मैं कौन हूं? जयकांत कौन है? (Singham Movie Ajay Devgan,Prakash raj 2011)
- हां तो बोल, कौन है तू? बता ना।" "करप्शन से पैदा हुआ एक गंदे नाले का कीड़ा, औकात क्या है तुम लोगों की? बोल, बोलना। (Singham Movie Ajay Devgan,Prakash Raj 2011)
- मिला था उसे मैं बिहार जेल में, औरे अपना चार्ल सोभराज क्या डेथली आदमी है, क्या पर्सनालिटी है! चौदह बार भागा जेल से – अफगानिस्तान, पेरिस, बैंकॉक, बिहार से भागा, और अपना ये कालिया, ये कालिया, मुबारक हो लाइक भाई, इस बार गेट तक तो पहुंचा। ऐसे चला तो 10-12 साल में बस स्टॉप जरूर पहुंचेंगे। (Badalapur Movie Barun Dhawan,Nawazwiddin Siddiqui Murali Sharma 2015)
- कहाँ लिखा है जमीन आपका है? लिखा है तो फिर दिखाइए। (Ganges of Wassepur Movie Manoj Bajpehi,Nawazwiddin Siddiqui 2012)
- अपाहिज वह नहीं होता जिसका कोई अंग नहीं हो। अपाहिज वह होता है जो अपने अंगों का इस्तेमाल नहीं करता। जो दूसरों की मदद नहीं करते, वे अपाहिज होते हैं। जो जुर्म को देखकर आंखें मूंद लेते हैं, वे अपाहिज होते हैं। (Akira movie sonakshi sinha anurag kashyap 2016)
Bollywood movie dialogues के सफर की शुरुआत हम 'वांटेड' के भाई राधे, यानी सलमान खान के दमदार डायलॉग्स से करते हैं। उनकी संवाद अदायगी का जादू ऐसा है कि हर कोई उनका फैन बन जाता है। चलिए, सलमान के कुछ यादगार डायलॉग्स के साथ इस सफर की शुरुआत करते हैं।
1. Wanted Movie Dialogue Salman Khan
वांटेड 2009 की एक भारतीय हिंदी-भाषा की एक्शन थ्रिलर फिल्म है, जिसे प्रभु देवा ने निर्देशित और बोनी कपूर ने निर्मित किया है। यह फिल्म 2006 की तेलुगु फिल्म पोकिरी का रीमेक है। इसमें सलमान खान मुख्य भूमिका में हैं, साथ ही प्रकाश राज, आयशा टाकिया, विनोद खन्ना और महेश मांजरेकर ने महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाई हैं। फिल्म की कहानी एक अंडरकवर आईपीएस अधिकारी के इर्द-गिर्द घूमती है, जो एक ठग के रूप में काम करता है। फिल्म की रिलीज पर इसे मिश्रित से सकारात्मक समीक्षाएं मिलीं और यह 2009 की सबसे बड़ी हिट फिल्मों में से एक बनी।फिल्म 'वांटेड' में सलमान खान का एक जबरदस्त डायलॉग है: "एक बार जो मैंने कमिटमेंट कर दी, तो फिर मैं अपने आप को भी नहीं सुनता।" इस डायलॉग ने फिल्म में एक अलग ही जान डाल दी है। सलमान खान इस डायलॉग को फिल्म में अलग-अलग मौकों पर बोलते हैं - कभी हीरोइन के सामने, कभी विलेन के सामने, तो कभी अपने दोस्तों के सामने। ये डायलॉग 'वांटेड' की सबसे बेहतरीन और यादगार डायलॉग्स में से एक है।
डायलाग - एक बार जो मेने कमिटमेंट करदी तो फिर में खुदको भी नहीं सुनता।
2. Dabangg2 Movie Dialogue Salman Khan
दबंग 2 2012 की एक भारतीय हिंदी-भाषा की एक्शन कॉमेडी फिल्म है, जिसका निर्देशन और निर्माण अरबाज खान ने अरबाज खान प्रोडक्शंस के तहत किया है। यह 2010 की फिल्म दबंग की सीक्वल और दबंग श्रृंखला की दूसरी कड़ी है। सलमान खान, सोनाक्षी सिन्हा, अरबाज खान, माही गिल और विनोद खन्ना ने अपनी भूमिकाओं को दोहराया है, जबकि प्रकाश राज, निकितिन धीर, पंकज त्रिपाठी, मनोज पाहवा और दीपक डोबरियाल सहायक भूमिकाओं में नजर आते हैं। दबंग 2 को 21 दिसंबर 2012 को क्रिसमस के दौरान भारत में रिलीज किया गया था। इसने अपने पहले तीन दिनों में ₹58.3 करोड़ कमाए और कुल ₹253.54 करोड़ की कमाई के साथ 2012 की दूसरी सबसे अधिक कमाई करने वाली हिंदी फिल्म बन गई।डायलाग के scene:
शादी का माहौल था। मंडप सजा हुआ था, गेंदा नाम का गुंडा अचानक मंडप में घुसता है और दुल्हन को उठाकर ले जाने की कोशिश करता है। उसी वक्त, चुलबुल पांडे अपनी पुलिस फोर्स के साथ वहां पहुंचता है। गेंदा चुलबुल पांडे को धमकी देता है कि अगर उसने बीच में पड़ने की कोशिश की तो वह उसके पिता को मार देगा। गेंदा अपनी दबंगई दिखाते हुए चुलबुल पांडे के सामने आ जाता है।
चुलबुल पांडे थोड़ी देर तक उसे घूरता रहता है, फिर बिना समय गवाए उस पर टूट पड़ता है। चुलबुल पांडे के कुछ जोरदार घूंसे गेंदा को जमीन पर गिरा देते हैं। गेंदा वहीं पर ढेर हो जाता है और चुलबुल पांडे के सामने उसकी गुंडागर्दी का अंत हो जाता है।
इस तरह चुलबुल पांडे ने अपने अंदाज में न्याय किया और शादी का माहौल फिर से खुशियों से भर गया।
गेंदा डायलाग - पांडे लंडिया तो हम लेकर जायेंगे और तुमरे सामने लेकर जायेंगे अब दबा दे घोडा।
चुलबुल पांडे डायलाग - कमाल करते हो यार गेंदा हमारे बाप को लाफा मरोगे लड़की को मंडप से उठा ले जाओगे थाना है, पुलिस है, हम है, क्या प्राप्त हुआ, शादी मुबारख।
3. Pathaan Movie Dialogue Shahrukh Khan
फिल्म "पठान" में शाहरुख़ ख़ान ने एक निष्कासित रॉ एजेंट का किरदार निभाया है, जिसका नाम पठान है। यह किरदार अपने देश के प्रति अटूट वफादारी और कर्तव्यनिष्ठा से प्रेरित है। कहानी में, पठान रबिना मोहसिन (दीपिका पादुकोण) के साथ मिलकर जिम (जॉन अब्राहम) को रोकने का प्रयास करता है, जो एक पूर्व रॉ एजेंट है और अब अपने ही देश के खिलाफ साजिश रच रहा है। जिम भारत पर एक खतरनाक वायरस से हमला करने की योजना बना रहा है।पठान का चरित्र एक सच्चे सैनिक की भावना को प्रदर्शित करता है, जो निःस्वार्थ रूप से अपने देश की रक्षा के लिए हर चुनौती का सामना करता है। शाहरुख़ ख़ान की बेहतरीन अदाकारी से यह किरदार और भी जीवंत हो जाता है। फिल्म में शाहरुख़ के द्वारा बोले गए दो डायलॉग्स दर्शकों के दिलों में गहराई से बस गए हैं:
डायलाग- "एक सोल्जर ये नहीं पूछता देश ने उसके लिए क्या किया, पूछता है वह देश के लिए क्या कर सकता है।"
डायलाग- "पठान के घर में पार्टी रखोगे मेहमान नवाजी के लिए पठान तो आएगा ही, साथ में पटाखे भी लाएगा।"
इन डायलॉग्स ने दर्शकों के मन में एक गहरा प्रभाव छोड़ा है और शाहरुख़ के अद्वितीय अभिनय ने फिल्म को एक नई ऊंचाई पर पहुंचाया है। पठान का यह साहसिक और प्रेरणादायक सफर दर्शकों को अंत तक बांधे रखता है।
4. Devdas Movie Dialogue
देवदास 2002 की भारतीय हिंदी-भाषा की पीरियड रोमांटिक ड्रामा फिल्म है, जिसका निर्देशन संजय लीला भंसाली ने किया है और जिसका निर्माण भारत शाह ने अपने बैनर मेगा बॉलीवुड के तहत किया है। इस फिल्म में शाहरुख खान, ऐश्वर्या राय और माधुरी दीक्षित ने मुख्य भूमिकाएँ निभाई हैं, जबकि जैकी श्रॉफ, किरण खेर, स्मिता जयकर और विजयेंद्र घाटगे सहायक भूमिकाओं में नजर आते हैं। यह फिल्म शरत चंद्र चट्टोपाध्याय के 1917 के प्रसिद्ध उपन्यास 'देवदास' पर आधारित है।डायलाग के scene:
माधुरी दीक्षित द्वारा निभाई गई वेश्या चंद्रमुखी, देवदास को सांत्वना और संगति प्रदान करती है। उसकी वास्तविक देखभाल के बावजूद, देवदास अपनी पीड़ा और दिल के टूटने को पार नहीं कर पाता और शराब पीना जारी रखता है। चंद्रमुखी की उपस्थिति उसके प्रेम को प्रकट करती है, लेकिन देवदास की आत्मा में अभी भी पारो की यादों का दर्द बसा है। जब वह दिल से उबलते हुए दरिद्रता में डूबा हुआ रहता है, तो वह शराब की नशे में खो जाता है, जिसमें उसे अपनी प्रेमिका के साथ की यादों की एक अलग ही धुंधली झलक मिलती है।
डायलाग- की कौन कम्बख्त बरदास करने को पिता है, हम तो पीते है की यंहा पर बैठ सके तुम्हें देख सके तुम्हें बरदास करसके बेहोस हो सके पारो को भुला सके, लेकिन चंद्रमुखी पारो की याद जो हमे होस भी खोने नहीं देती।
यह फिल्म 32 करोड़ रुपये की कमाई के साथ उस साल की दूसरी सबसे ज्यादा कमाई करने वाली बॉलीवुड फिल्म बनी। 42वें फिल्मफेयर अवॉर्ड्स में इसने तीन पुरस्कार जीते, जिसमें अमरीश पुरी को सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता का पुरस्कार भी शामिल था। इसके अलावा, फिल्म को तीन अन्य श्रेणियों में नामांकन भी मिला: सर्वश्रेष्ठ निर्देशक के लिए राजकुमार संतोषी, सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के लिए सनी देओल, और सर्वश्रेष्ठ खलनायक के लिए डैनी डेन्जोंगपा।
घातक मीनाक्षी शेषाद्रि की आखिरी फिल्म है। इस फिल्म का तेलुगू में रीमेक भी बनाया गया, जिसका नाम "आपथुडु" (2004) था, जिसमें राजशेखर और अंजला जावेरी मुख्य भूमिकाओं में थे।
इस फिल्म की कहानी और अभिनय ने इसे एक यादगार और प्रतिष्ठित फिल्म बना दिया, जिसे आज भी दर्शक सराहते हैं।
यह डायलॉग मनोरंजन के उद्देश्य से लिखा गया है और इसमें प्रयुक्त भाषा की जिम्मेदारी hindidialogues.in नहीं लेता है।
फिल्म में एक महत्वपूर्ण सीन है जिसमें मन्या और उसके गैंग ज़ुबैर को एक पेट्रोल पंप पर गोली मारकर हत्या कर देते हैं। यह घटना दिलावर के लिए बेहद तकलीफदेह है क्योंकि ज़ुबैर उसका दोस्त और भाई था। दिलावर इस बदले की आग में जल रहा होता है और एक दिन उसे मौका मिलता है जब मन्या का दोस्त मुनीर मस्जिद में नमाज पढ़ने जाता है। इसी दौरान दिलावर और मुनीर का सामना होता है, और इसके बाद यह जोरदार संवाद सामने आता है:
दिलावर: "आज तुझे खुदा के उस घर भेजूंगा जरूर, लेकिन अगर मन्या का पता बता देगा तो मौत इज्जत से पेश आएगी।"
मुनीर: "मन्या का पता तो नहीं बताऊंगा, जो मौत दो उसकी उम्र बढ़ा दे वह मौत सर आँखों पर।"
दिलावर: "अफसोस, एक कायर हिंदू के लिए मरेगा तू।"
मुनीर: "एक सच्चा मुसलमान दोस्त के लिए जान दे भी सकता है और जान ले भी सकता है, दोस्ती का कोई मजहब नहीं होता।"
दिलावर: "मजहब तो दुश्मनी का भी नहीं होता। ठीक है, खुदा के इस घर से निकलते ही खुदा के उस घर जाने की तैयारी कर ले।"
यह संवाद दर्शाता है कि दोस्ती और दुश्मनी दोनों ही मजहब से परे होती हैं, और यह सीन दोनों पात्रों की सोच और उनके मूल्य को गहराई से उजागर करता है।
माधुरी दीक्षित द्वारा निभाई गई वेश्या चंद्रमुखी, देवदास को सांत्वना और संगति प्रदान करती है। उसकी वास्तविक देखभाल के बावजूद, देवदास अपनी पीड़ा और दिल के टूटने को पार नहीं कर पाता और शराब पीना जारी रखता है। चंद्रमुखी की उपस्थिति उसके प्रेम को प्रकट करती है, लेकिन देवदास की आत्मा में अभी भी पारो की यादों का दर्द बसा है। जब वह दिल से उबलते हुए दरिद्रता में डूबा हुआ रहता है, तो वह शराब की नशे में खो जाता है, जिसमें उसे अपनी प्रेमिका के साथ की यादों की एक अलग ही धुंधली झलक मिलती है।
डायलाग- की कौन कम्बख्त बरदास करने को पिता है, हम तो पीते है की यंहा पर बैठ सके तुम्हें देख सके तुम्हें बरदास करसके बेहोस हो सके पारो को भुला सके, लेकिन चंद्रमुखी पारो की याद जो हमे होस भी खोने नहीं देती।
5. Padmaavat Movie Dialogue
2018 की भारतीय हिंदी-भाषा की ऐतिहासिक ड्रामा फिल्म "पद्मावत" संजय लीला भंसाली द्वारा निर्देशित है और मलिक मुहम्मद जायसी की महाकाव्य कविता पर आधारित है। इसमें दीपिका पादुकोण ने रानी पद्मावती की भूमिका निभाई है, जो अपनी सुंदरता के लिए प्रसिद्ध सिंहली-जनमी राजपूत रानी हैं और महारावल रतन सिंह (शाहिद कपूर) की पत्नी हैं। रणवीर सिंह ने सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी की भूमिका निभाई है, जो रानी पद्मावती की सुंदरता के बारे में सुनकर उसे बंदी बनाने के लिए उसके राज्य पर हमला करता है। फिल्म में अदिति राव हैदरी, जिम सर्भ, रजा मुराद और अनुप्रिया गोयनका ने भी महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाई हैं।डायलाग के scene:
जब अलाउद्दीन खिलजी राजपूत राजा रतन सिंह को अगवा करके दिल्ली ले जाता है, तब रानी पद्मावती अपने पति को बचाने के लिए दिल्ली पहुंचती है। खिल्जियों ने नमाज़ पढ़ते वक्त रानी पद्मावती राजा को वहाँ से छुड़ा ले जाती है। जाते वक्त राजा रतन सिंह और अलाउद्दीन खिलजी के बीच एक संवाद होता है:
अलाउद्दीन खिलजी: "कितने अच्छे हो तुम और कितने अच्छे हैं तुम्हारे ये उसूल। मेरे अजीज़, इश्क और जंग में कोई उसूल नहीं होते।"
राजा रतन सिंह: "उसूल सीख लो, अलाउद्दीन, इंसान बन जाओगे।"
इस संवाद में राजा रतन सिंह अपने उसूलों और आदर्शों की महत्ता बताते हुए, अलाउद्दीन खिलजी को नैतिकता और मानवता का पाठ पढ़ाते हैं।
जब अलाउद्दीन खिलजी राजपूत राजा रतन सिंह को अगवा करके दिल्ली ले जाता है, तब रानी पद्मावती अपने पति को बचाने के लिए दिल्ली पहुंचती है। खिल्जियों ने नमाज़ पढ़ते वक्त रानी पद्मावती राजा को वहाँ से छुड़ा ले जाती है। जाते वक्त राजा रतन सिंह और अलाउद्दीन खिलजी के बीच एक संवाद होता है:
अलाउद्दीन खिलजी: "कितने अच्छे हो तुम और कितने अच्छे हैं तुम्हारे ये उसूल। मेरे अजीज़, इश्क और जंग में कोई उसूल नहीं होते।"
राजा रतन सिंह: "उसूल सीख लो, अलाउद्दीन, इंसान बन जाओगे।"
इस संवाद में राजा रतन सिंह अपने उसूलों और आदर्शों की महत्ता बताते हुए, अलाउद्दीन खिलजी को नैतिकता और मानवता का पाठ पढ़ाते हैं।
6. Ghatak Movie Dialogue
घातक: 1996 में रिलीज हुई एक भारतीय हिंदी-भाषा की एक्शन थ्रिलर फिल्म है, जिसका निर्देशन राजकुमार संतोषी ने किया है। इस फिल्म में सनी देओल, मीनाक्षी शेषाद्रि, अमरीश पुरी, और डैनी डेन्जोंगपा मुख्य भूमिकाओं में हैं।यह फिल्म 32 करोड़ रुपये की कमाई के साथ उस साल की दूसरी सबसे ज्यादा कमाई करने वाली बॉलीवुड फिल्म बनी। 42वें फिल्मफेयर अवॉर्ड्स में इसने तीन पुरस्कार जीते, जिसमें अमरीश पुरी को सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता का पुरस्कार भी शामिल था। इसके अलावा, फिल्म को तीन अन्य श्रेणियों में नामांकन भी मिला: सर्वश्रेष्ठ निर्देशक के लिए राजकुमार संतोषी, सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के लिए सनी देओल, और सर्वश्रेष्ठ खलनायक के लिए डैनी डेन्जोंगपा।
घातक मीनाक्षी शेषाद्रि की आखिरी फिल्म है। इस फिल्म का तेलुगू में रीमेक भी बनाया गया, जिसका नाम "आपथुडु" (2004) था, जिसमें राजशेखर और अंजला जावेरी मुख्य भूमिकाओं में थे।
इस फिल्म की कहानी और अभिनय ने इसे एक यादगार और प्रतिष्ठित फिल्म बना दिया, जिसे आज भी दर्शक सराहते हैं।
यह डायलॉग मनोरंजन के उद्देश्य से लिखा गया है और इसमें प्रयुक्त भाषा की जिम्मेदारी hindidialogues.in नहीं लेता है।
डायलाग के scene:
यह सीन तब का है जब कासी के भाई को कातिया के भाईओं ने ट्रक से कुचलकर मार दिया था। इस घटना के बाद, कातिया अपने भाईओं और आदमियों के साथ शमशान घाट पहुँचता है, जहां कासी अपने भाई की चिता को आग देने जा रहा होता है। कातिया वहां सबको चेतावनी देने के इरादे से आता है और कहता है कि ऐसा हादसा आप लोगों के साथ भी हो सकता है।
कातिया की बात पूरी होते ही कासी गुस्से में आकर उस पर हमला कर देता है और जोर से चिल्लाते हुए यह डायलॉग बोलता है:
कासी (सनी देओल)डायलाग: "उठा-उठा के पटकूंगा, चीर दूंगा, फाड़ दूंगा साले! आ बे, रुक! अगर सातों एक बाप के हैं तो रुक, नहीं तो कसम गंगा माया की, घर में घुसकर मारूंगा, सातों को एक साथ मारूंगा! आ बे, रुक!"
इस डायलाग में कासी के गुस्से और प्रतिशोध की भावना को दर्शाया गया है।
डायलाग के scene:
यह सीन तब का है जब कासी के भाई को कातिया के भाईओं ने ट्रक से कुचलकर मार दिया था। इस घटना के बाद, कातिया अपने भाईओं और आदमियों के साथ शमशान घाट पहुँचता है, जहां कासी अपने भाई की चिता को आग देने जा रहा होता है। कातिया वहां सबको चेतावनी देने के इरादे से आता है और कहता है कि ऐसा हादसा आप लोगों के साथ भी हो सकता है।
कातिया की बात पूरी होते ही कासी गुस्से में आकर उस पर हमला कर देता है और जोर से चिल्लाते हुए यह डायलॉग बोलता है:
कासी (सनी देओल)डायलाग: "उठा-उठा के पटकूंगा, चीर दूंगा, फाड़ दूंगा साले! आ बे, रुक! अगर सातों एक बाप के हैं तो रुक, नहीं तो कसम गंगा माया की, घर में घुसकर मारूंगा, सातों को एक साथ मारूंगा! आ बे, रुक!"
इस डायलाग में कासी के गुस्से और प्रतिशोध की भावना को दर्शाया गया है।
7. Dangal Movie Dialogue
दंगल (2016) एक भारतीय हिंदी भाषा की जीवनीपरक खेल ड्रामा फिल्म है, जिसका निर्देशन नितेश तिवारी ने किया है। आमिर खान और किरण राव द्वारा निर्मित इस फिल्म में आमिर खान महावीर सिंह फोगाट की भूमिका निभा रहे हैं। महावीर अपनी बेटियों, गीता और बबीता, को भारत की पहली विश्व स्तरीय महिला पहलवान बनने के लिए प्रशिक्षित करते हैं। फातिमा सना शेख और सान्या मल्होत्रा ने गीता और बबीता के वयस्क रूप को निभाया है। फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर कई रिकॉर्ड तोड़े, और इसे समीक्षकों द्वारा सराहा गया। दंगल ने कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार जीते और इसे चीन में भी बड़ी सफलता मिली।डायलाग के scene:
महावीर, जो अपने जवान उम्र में नेशनल चैंपियनशिप हार गया था, अपने परिवार की गरीबी के कारण पहलवानी छोड़कर नौकरी करने पर मजबूर हो गया। मगर उसकी दो बेटियां थीं, जिन्होंने एक बार पड़ोस की दो लड़कियों को बुरी तरह पीटा। यह देखकर महावीर ने ठान लिया कि अब उसकी बेटियां घर का काम छोड़कर पहलवानी करेंगी। और इसी के साथ शुरू होती है यह जबरदस्त कहानी और संवाद।
डायलाग-"हमेशा ये सोचकर रोता रहता था, अगर बेटा होता तो कुश्ती में देश के लिए गोल्ड लाता। ये बात मेरी समझ में नहीं आई कि गोल्ड तो गोल्ड होता है, चाहे बेटा लाए या बेटी। आज के बाद गीता और बबीता झाड़ू-पोछा नहीं करेंगी। आज के बाद वे सिर्फ पहलवानी करेंगी।"
डायलाग के scene:
बिक्रम राठोड, एक ईमानदार पुलिस अफसर, हमेशा अपने फर्ज को निष्ठा और ईमानदारी से निभाता था। एक दिन उसका सामना खतरनाक गुंडे बाबूजी से हो गया। बाबूजी ने उसे मारकर सूली पर चढ़ा दिया, यह सोचकर कि राठोड अब खत्म हो गया है। लेकिन कुछ दिनों बाद, राठोड जैसा हमशक्ल और उसकी बेटी को बाबूजी के गुंडे मारने की कोशिश कर रहे थे। ठीक उसी वक्त, बिक्रम राठोड एक बिल्डिंग के ऊपर से यह नजारा देख रहा था। नीचे कूदते ही, उसने जबरदस्त डायलॉग के साथ अपनी वापसी की घोषणा की।
डायलाग - "जिसने भी ये सोचा कि मैं डर गया, वो साला अर्थी पे अपना घर गया। राठोड बिक्रम राठोड, मैं नहीं डरता, मौत डरती है मुझसे। मौत में इतना दम नहीं कि मेरे सामने आ सके। अगर तुम में से एक भी आदमी जिंदा बचा या तुम सब से एक मिनट पहले मैं मर गया, तो फिर मेरी ये मूंछें काटना और फिर मुझे जमीन में गाड़ना।"
फिल्म 'दीवार' में रवि वर्मा एक जूता पोलिश करने वाला लड़का हुआ करता था। जूते पोलिश करने के बाद लोग अपने पैसे नीचे फेंक देते थे, जिसे देखकर रवि वर्मा गुस्से में कहता था, "पैसे मेरे हाथ में दो।" एक बार, रवि ने किसी काम के सिलसिले में ठाकुर के पास पहुँचा। ठाकुर ने काम के बदले कुछ रुपये टेबल पर नीचे फेंक दिए। इसे देखकर रवि वर्मा अपने अंदाज में कहता है:
डायलाग - "ठाकुर साहब, बहुत बरस पहले आप रेस खेलने जाया करते थे, और हमेशा एक जगह गाड़ी रखकर अपने जूते पोलिश करवाते थे। मैं आज भी फेंके हुए पैसे नहीं उठाता।"
यह संवाद रवि वर्मा के स्वाभिमान और आत्मसम्मान को बखूबी दर्शाता है।
डायलाग के scene:
फिल्म 'नायक' में एक बेहद महत्वपूर्ण सीन है जिसमें शिवाजी राव मुख्यमंत्री बलराज चौहान से एक कांफ्रेंस मीटिंग के दौरान सवाल करते हैं। इस सीन में शिवाजी राव बलराज चौहान की संपत्ति के स्रोत पर सवाल उठाते हैं।
डायलाग- शिवाजी राव कहते हैं, "अभी आपकी तनख्वाह है 18,000 रुपये, यानी सालाना दो लाख सोलह हजार। आज तक की टोटल कमाई 20-25 लाख से ज्यादा नहीं हो सकती, फिर भी आपके पास 500 करोड़ की प्रॉपर्टीज कहाँ से आई सर?"
यह संवाद बलराज चौहान की भ्रष्टाचार और बेईमानी को उजागर करता है और शिवाजी राव की साहस और सच्चाई के प्रति निष्ठा को दर्शाता है।
महावीर, जो अपने जवान उम्र में नेशनल चैंपियनशिप हार गया था, अपने परिवार की गरीबी के कारण पहलवानी छोड़कर नौकरी करने पर मजबूर हो गया। मगर उसकी दो बेटियां थीं, जिन्होंने एक बार पड़ोस की दो लड़कियों को बुरी तरह पीटा। यह देखकर महावीर ने ठान लिया कि अब उसकी बेटियां घर का काम छोड़कर पहलवानी करेंगी। और इसी के साथ शुरू होती है यह जबरदस्त कहानी और संवाद।
डायलाग-"हमेशा ये सोचकर रोता रहता था, अगर बेटा होता तो कुश्ती में देश के लिए गोल्ड लाता। ये बात मेरी समझ में नहीं आई कि गोल्ड तो गोल्ड होता है, चाहे बेटा लाए या बेटी। आज के बाद गीता और बबीता झाड़ू-पोछा नहीं करेंगी। आज के बाद वे सिर्फ पहलवानी करेंगी।"
8. Rowdy Rathore Movie Dialogue
राउडी राठौर (2012) एक भारतीय हिंदी एक्शन फिल्म है, जिसका निर्देशन प्रभु देवा ने किया है। संजय लीला भंसाली और रॉनी स्क्रूवाला द्वारा निर्मित इस फिल्म में अक्षय कुमार ने दोहरी भूमिका निभाई है - एक बहादुर पुलिस अधिकारी विक्रम राठौर और एक चोर शिवा की। फिल्म में सोनाक्षी सिन्हा, गुरदीप कोहली, यशपाल शर्मा और परेश गणात्रा भी महत्वपूर्ण भूमिकाओं में हैं, जबकि नासर मुख्य खलनायक की भूमिका में हैं। फिल्म का संगीत साजिद-वाजिद ने दिया है। ₹60 करोड़ के बजट पर बनी इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर सफलता प्राप्त की और ₹203.39 करोड़ से अधिक की कमाई की, जिससे यह भारतीय सिनेमा की उच्चतम कमाई वाली फिल्मों में से एक बन गई।डायलाग के scene:
बिक्रम राठोड, एक ईमानदार पुलिस अफसर, हमेशा अपने फर्ज को निष्ठा और ईमानदारी से निभाता था। एक दिन उसका सामना खतरनाक गुंडे बाबूजी से हो गया। बाबूजी ने उसे मारकर सूली पर चढ़ा दिया, यह सोचकर कि राठोड अब खत्म हो गया है। लेकिन कुछ दिनों बाद, राठोड जैसा हमशक्ल और उसकी बेटी को बाबूजी के गुंडे मारने की कोशिश कर रहे थे। ठीक उसी वक्त, बिक्रम राठोड एक बिल्डिंग के ऊपर से यह नजारा देख रहा था। नीचे कूदते ही, उसने जबरदस्त डायलॉग के साथ अपनी वापसी की घोषणा की।
डायलाग - "जिसने भी ये सोचा कि मैं डर गया, वो साला अर्थी पे अपना घर गया। राठोड बिक्रम राठोड, मैं नहीं डरता, मौत डरती है मुझसे। मौत में इतना दम नहीं कि मेरे सामने आ सके। अगर तुम में से एक भी आदमी जिंदा बचा या तुम सब से एक मिनट पहले मैं मर गया, तो फिर मेरी ये मूंछें काटना और फिर मुझे जमीन में गाड़ना।"
9. Deewar Movie Dialogue
दीवार (Deewaar) 1975 में रिलीज़ हुई एक भारतीय हिंदी-भाषा की एक्शन क्राइम फिल्म है, जिसे सलीम-जावेद ने लिखा और यश चोपड़ा ने निर्देशित किया। फिल्म में शशि कपूर, अमिताभ बच्चन, नीतू सिंह, निरूपा रॉय, परवीन बाबी, इफ्तेखार, मदन पुरी, सत्येन कप्पू और मनमोहन कृष्णा मुख्य भूमिकाओं में हैं। फिल्म का संगीत आर.डी. बर्मन ने तैयार किया है। कहानी दो गरीब भाइयों की है, जो मुंबई की झुग्गियों में जीने के लिए संघर्ष करते हैं और अंततः कानून के विपरीत पक्षों में खड़े हो जाते हैं। "दीवार" शीर्षक उन दोनों भाइयों के बीच की दीवार को दर्शाता है, जो भाग्य और परिस्थितियों के कारण अलग हो गए हैं।डायलाग के scene:
फिल्म 'दीवार' में रवि वर्मा एक जूता पोलिश करने वाला लड़का हुआ करता था। जूते पोलिश करने के बाद लोग अपने पैसे नीचे फेंक देते थे, जिसे देखकर रवि वर्मा गुस्से में कहता था, "पैसे मेरे हाथ में दो।" एक बार, रवि ने किसी काम के सिलसिले में ठाकुर के पास पहुँचा। ठाकुर ने काम के बदले कुछ रुपये टेबल पर नीचे फेंक दिए। इसे देखकर रवि वर्मा अपने अंदाज में कहता है:
डायलाग - "ठाकुर साहब, बहुत बरस पहले आप रेस खेलने जाया करते थे, और हमेशा एक जगह गाड़ी रखकर अपने जूते पोलिश करवाते थे। मैं आज भी फेंके हुए पैसे नहीं उठाता।"
यह संवाद रवि वर्मा के स्वाभिमान और आत्मसम्मान को बखूबी दर्शाता है।
10. Nayak Movie Dialogue
"नायक: द रियल हीरो" 2001 की भारतीय हिंदी-भाषा की राजनीतिक एक्शन फिल्म है, जिसे एस. शंकर ने सह-लिखित और निर्देशित किया है और ए. एम. रत्नम ने श्री सूर्य मूवीज के बैनर तले निर्मित किया है। इस फिल्म में अनिल कपूर मुख्य भूमिका में हैं, जबकि रानी मुखर्जी, अमरीश पुरी, परेश रावल, और जॉनी लीवर सहायक भूमिकाओं में हैं। यह शंकर की 1999 की तमिल-भाषा की फिल्म "मुदलवन" की रीमेक है। फिल्म की कहानी शिवाजी राव गायकवाड़ (कपूर) पर केंद्रित है, जो एक टेलीविजन कैमरामैन और बाद में टेलीविजन प्रस्तोता बन जाता है। वह महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बलराज चौहान और पुलिस के बीच की बातचीत को गलती से रिकॉर्ड कर लेता है। चौहान का साक्षात्कार करते समय, शिवाजी को एक दिन के लिए मुख्यमंत्री का पद संभालने की चुनौती दी जाती है।डायलाग के scene:
फिल्म 'नायक' में एक बेहद महत्वपूर्ण सीन है जिसमें शिवाजी राव मुख्यमंत्री बलराज चौहान से एक कांफ्रेंस मीटिंग के दौरान सवाल करते हैं। इस सीन में शिवाजी राव बलराज चौहान की संपत्ति के स्रोत पर सवाल उठाते हैं।
डायलाग- शिवाजी राव कहते हैं, "अभी आपकी तनख्वाह है 18,000 रुपये, यानी सालाना दो लाख सोलह हजार। आज तक की टोटल कमाई 20-25 लाख से ज्यादा नहीं हो सकती, फिर भी आपके पास 500 करोड़ की प्रॉपर्टीज कहाँ से आई सर?"
यह संवाद बलराज चौहान की भ्रष्टाचार और बेईमानी को उजागर करता है और शिवाजी राव की साहस और सच्चाई के प्रति निष्ठा को दर्शाता है।
11. Shootout At Wadala Movie Dialogue
"शूटआउट एट वडाला" 2013 की भारतीय एक्शन-क्राइम फिल्म है, जिसे संजय गुप्ता ने लिखा और निर्देशित किया है। इस फिल्म में अनिल कपूर, जॉन अब्राहम, मनोज बाजपेयी, तुषार कपूर, कंगना रनौत और सोनू सूद मुख्य भूमिकाओं में हैं। यह 2007 की फिल्म "शूटआउट एट लोखंडवाला" का प्रीक्वल है। फिल्म में मन्या, एक मेहनती छात्र, अपने भाई भरगव पर हमला करने वाले गैंगस्टर को मारकर जेल में पहुंच जाता है। बाद में, मन्या जेल से भागकर अपने गैंग का गठन करता है और बदला लेने की ठान लेता है।डायलाग के scene:
फिल्म में एक महत्वपूर्ण सीन है जिसमें मन्या और उसके गैंग ज़ुबैर को एक पेट्रोल पंप पर गोली मारकर हत्या कर देते हैं। यह घटना दिलावर के लिए बेहद तकलीफदेह है क्योंकि ज़ुबैर उसका दोस्त और भाई था। दिलावर इस बदले की आग में जल रहा होता है और एक दिन उसे मौका मिलता है जब मन्या का दोस्त मुनीर मस्जिद में नमाज पढ़ने जाता है। इसी दौरान दिलावर और मुनीर का सामना होता है, और इसके बाद यह जोरदार संवाद सामने आता है:
दिलावर: "आज तुझे खुदा के उस घर भेजूंगा जरूर, लेकिन अगर मन्या का पता बता देगा तो मौत इज्जत से पेश आएगी।"
मुनीर: "मन्या का पता तो नहीं बताऊंगा, जो मौत दो उसकी उम्र बढ़ा दे वह मौत सर आँखों पर।"
दिलावर: "अफसोस, एक कायर हिंदू के लिए मरेगा तू।"
मुनीर: "एक सच्चा मुसलमान दोस्त के लिए जान दे भी सकता है और जान ले भी सकता है, दोस्ती का कोई मजहब नहीं होता।"
दिलावर: "मजहब तो दुश्मनी का भी नहीं होता। ठीक है, खुदा के इस घर से निकलते ही खुदा के उस घर जाने की तैयारी कर ले।"
यह संवाद दर्शाता है कि दोस्ती और दुश्मनी दोनों ही मजहब से परे होती हैं, और यह सीन दोनों पात्रों की सोच और उनके मूल्य को गहराई से उजागर करता है।
12. Shootout At Lokhandwala Movie Dialogue
"शूटआउट एट लोखंडवाला" 2007 में रिलीज़ हुई एक भारतीय हिंदी भाषा की एक्शन थ्रिलर फिल्म है, जिसका निर्देशन और सह-लेखन अपूर्व लाखिया ने किया है और सह-लेखन और सह-निर्माण संजय गुप्ता ने किया है। इस फिल्म की निर्माता एकता कपूर हैं और लेखक सुरेश नायर हैं। यह फिल्म 1991 के लोखंडवाला कॉम्प्लेक्स शूटआउट पर आधारित है, जो गैंगस्टरों और मुंबई पुलिस के बीच हुई एक वास्तविक बंदूक लड़ाई थी। फिल्म में अमिताभ बच्चन, संजय दत्त, सुनील शेट्टी, विवेक ओबेरॉय, अरबाज खान, तुषार कपूर, रोहित रॉय, आदित्य लाखिया, और शब्बीर अहलूवालिया मुख्य भूमिकाओं में हैं।डायलाग के scene:
माया का गैंग पूरे मुंबई में हुकूमत करता था। मर्डर, चोरी, दादागिरी, स्मगलिंग जैसे बेइमानी के कामों को अंजाम देते थे। ये लोग अपने आपको 'अपुन दादा' बुलाया करते थे। जब एसीपी शमशेर खान ने इनकी केस अपने हाथ में लिया, तो उन्होंने इन लोगों को समझाने की बहुत कोशिश की। लेकिन ये लोग अपनी दादागिरी के चलते एसीपी खान की बात को नजरअंदाज कर देते हैं। खान और माया के बीच हुई बातचीत में कुछ जोरदार डायलॉग्स सामने आते हैं।
खान: "तुम लोगों के भेजे में बात तो जाती नहीं, सिर्फ गोली जाती है। और देखना, एक ना एक दिन तुम लोगों की लाश किसी गली में पड़ी मिलेगी।"
माया: "वो गली दोनों तरफ से खुलती है, खान।"
खान: "मैं उस दिन का इंतजार करूंगा।"
माया: "मैं भी। शायद अपुन फिरसे मिलेंगे या नहीं, पता नहीं। पर तुमसे मिलके अच्छा लगा।"
यह संवाद माया और खान के बीच के तनाव और उनके व्यक्तित्व की जटिलताओं को बखूबी दर्शाता है।
13. Singham Movie Dialogue
सिंघम 2011 में रिलीज़ हुई एक भारतीय हिंदी भाषा की एक्शन फिल्म है, जिसका निर्देशन रोहित शेट्टी ने किया है और निर्माण रिलायंस एंटरटेनमेंट द्वारा किया गया है। यह फिल्म शेट्टी के कॉप यूनिवर्स की पहली किस्त है। यह फिल्म 2010 की तमिल फिल्म "सिंघम" की रीमेक है, जिसका निर्देशन हरि ने किया था। फिल्म में अजय देवगन ने मुख्य भूमिका निभाई है, जिसमें वह बाजीराव सिंघम नामक एक पुलिस अधिकारी का किरदार निभा रहे हैं। काजल अग्रवाल और प्रकाश राज भी महत्वपूर्ण भूमिकाओं में हैं, जिसमें प्रकाश राज ने अपनी मूल तमिल फिल्म की भूमिका को दोहराया है।डायलाग के scene:
सिंघम मूवी का एक बेहतरीन सीन है, जिसमें शिवा नायक अपने आदमियों को छुड़ाने के लिए पुलिस स्टेशन आता है। वह बाजीराव सिंघम से कहता है, "अरे ए सिंघम, मेरे आदमियों को छोड़ दे ना रे, कितना पैसा चाहिए बोल।"
सिंघम जवाब देता है, "इन लोगों को छोड़ना और एफआईआर फाड़ना गैरकानूनी है।" फिर, एफआईआर को फाड़ते हुए, वह शिवा को पकड़ाता है और कहता है, "एफआईआर क्यों फाड़ा?"
इसके बाद, सिंघम और शिवा के बीच जबरदस्त डायलॉग्स होते हैं:
शीबा नायक डायलाग- "सिंघम, तुझे पता है मैं कौन हूं? जयकांत कौन है?"
सिंघम डायलाग- "हां तो बोल, कौन है तू? बता ना।" "करप्शन से पैदा हुआ एक गंदे नाले का कीड़ा, औकात क्या है तुम लोगों की? बोल, बोलना।"
इस डायलाग के साथ ही दोनों के बीच तनाव और भी बढ़ जाता है, जो दर्शकों को सीट से बांधे रखता है।
सिंघम मूवी का एक बेहतरीन सीन है, जिसमें शिवा नायक अपने आदमियों को छुड़ाने के लिए पुलिस स्टेशन आता है। वह बाजीराव सिंघम से कहता है, "अरे ए सिंघम, मेरे आदमियों को छोड़ दे ना रे, कितना पैसा चाहिए बोल।"
सिंघम जवाब देता है, "इन लोगों को छोड़ना और एफआईआर फाड़ना गैरकानूनी है।" फिर, एफआईआर को फाड़ते हुए, वह शिवा को पकड़ाता है और कहता है, "एफआईआर क्यों फाड़ा?"
इसके बाद, सिंघम और शिवा के बीच जबरदस्त डायलॉग्स होते हैं:
शीबा नायक डायलाग- "सिंघम, तुझे पता है मैं कौन हूं? जयकांत कौन है?"
सिंघम डायलाग- "हां तो बोल, कौन है तू? बता ना।" "करप्शन से पैदा हुआ एक गंदे नाले का कीड़ा, औकात क्या है तुम लोगों की? बोल, बोलना।"
इस डायलाग के साथ ही दोनों के बीच तनाव और भी बढ़ जाता है, जो दर्शकों को सीट से बांधे रखता है।
14. Badlapur Movie Dialogue
बादलापुर एक 2015 में बनी भारतीय हिंदी भाषा की नियो-नोयर एक्शन थ्रिलर फिल्म है, जिसे श्रीराम राघवन ने निर्देशित किया और मैडॉक फिल्म्स और ईरोस इंटरनेशनल के तहत दिनेश विजान और सुनील लुल्ला ने निर्मित किया। इस फिल्म का आधार इटालियन लेखक मासीमो कारलोट्टो की उपन्यास "डेथ्स डार्क अबिस" पर है। फिल्म में वरुण धवन और नवाजुद्दीन सिद्दीकी मुख्य भूमिका में हैं, और हुमा कुरैशी, यामी गौतम, विनय पाठक, कुमुद मिश्रा, दिव्या दत्ता और राधिका आप्टे ने सहायक भूमिकाएँ निभाई हैं।डायलाग के scene:
राघव की पत्नी और बेटे के एक एक्सीडेंट में गुजर जाने के बाद, राघव लाइक से उसके पार्टनर्स के नाम बताने के लिए कहता है। लेकिन लाइक अपने पार्टनर्स के नाम नहीं बताता है। इसके बाद, मर्डर और किडनैपिंग के जुर्म में लाइक को 20 साल की सजा सुनाई जाती है।
जेल में कुछ दिन बिताने के बाद, लाइक को पता चलता है कि यहाँ का खाना-पीना और जीना बहुत मुश्किल है। वह फैसला करता है कि जेल की ऊँची दीवार को कूदकर यहाँ से भाग जाएगा। लेकिन उसकी कोशिश नाकाम हो जाती है और वह पकड़ा जाता है।
दूसरे दिन, लाइक बाल कटवाने के लिए नाई के पास जाता है। वहां बैठे माइकल दादा, लाइक को नीचा दिखाते हुए यह डायलॉग बोलते हैं:
माइकल दादा डायलाग - "मिला था उसे मैं बिहार जेल में, औरे अपना चार्ल सोभराज क्या डेथली आदमी है, क्या पर्सनालिटी है! चौदह बार भागा जेल से – अफगानिस्तान, पेरिस, बैंकॉक, बिहार से भागा, और अपना ये कालिया, ये कालिया, मुबारक हो लाइक भाई, इस बार गेट तक तो पहुंचा। ऐसे चला तो 10-12 साल में बस स्टॉप जरूर पहुंचेंगे।"
जैसे ही माइकल दादा का यह डायलॉग खत्म होता है, लाइक को गुस्सा आ जाता है और वह उन लोगों पर हमला करने लगता है।
15. Gangs of Wasseypur Movie Dialogue
'गैंग्स ऑफ़ वासेपुर' एक 2012 में बनी भारतीय हिंदी भाषा की दो-भागीय ऐपिक काली कॉमेडी क्राइम फिल्म है, जिसे अनुराग कश्यप ने निर्मित और निर्देशित किया। इसमें धनबाद के कोयला माफिया (माफिया राज) की कहानी है, और तीन अपराध परिवारों के बीच शक्ति की संघर्ष, राजनीति और प्रतिशोध पर आधारित है। फिल्म के एन्सेम्बल कास्ट में मनोज बाजपेयी, नवाजुद्दीन सिद्दीकी, पंकज त्रिपाठी, रिचा चड्डा, हुमा कुरैशी और तिग्मंशु धुलिया शामिल हैं। इस फिल्म को उसके काले हास्य, प्रयोगात्मक संगीत और अपनी कठोर और वास्तविक फिल्म निर्माण शैली के लिए प्रशंसा मिली है।
डायलाग के scene:
सरदार खान ने कुछ जमीन अपने नाम कर ली थी, लेकिन उस जमीन पर रामाधीर सिंह की भी नजर थी। रामाधीर का बेटा अपने पिता से कहता है, "पापा, इस जमीन को ऐसे ही नहीं जाने देंगे। सरदार खान को पुलिस स्टेशन बुलाकर इस बारे में कुछ चर्चा की जाए, ताकि वह जमीन हमारी हो सके।"
दोनों पक्ष पुलिस स्टेशन पहुंचते हैं। वहां थोड़ी बहस के बाद रामाधीर सिंह का बेटा सरदार खान से पिट जाता है। इस दृश्य के दौरान सरदार खान एक जोरदार डायलॉग बोलता है:
सरदार खान के डायलाग- "कहाँ लिखा है जमीन आपका है? लिखा है तो फिर दिखाइए।"
इस डायलॉग के साथ ही सरदार खान की ताकत और उसकी दमदार शख्सियत की झलक मिलती है, जिससे पाठक और दर्शक दोनों ही मंत्रमुग्ध हो जाते हैं।
सरदार खान ने कुछ जमीन अपने नाम कर ली थी, लेकिन उस जमीन पर रामाधीर सिंह की भी नजर थी। रामाधीर का बेटा अपने पिता से कहता है, "पापा, इस जमीन को ऐसे ही नहीं जाने देंगे। सरदार खान को पुलिस स्टेशन बुलाकर इस बारे में कुछ चर्चा की जाए, ताकि वह जमीन हमारी हो सके।"
दोनों पक्ष पुलिस स्टेशन पहुंचते हैं। वहां थोड़ी बहस के बाद रामाधीर सिंह का बेटा सरदार खान से पिट जाता है। इस दृश्य के दौरान सरदार खान एक जोरदार डायलॉग बोलता है:
सरदार खान के डायलाग- "कहाँ लिखा है जमीन आपका है? लिखा है तो फिर दिखाइए।"
इस डायलॉग के साथ ही सरदार खान की ताकत और उसकी दमदार शख्सियत की झलक मिलती है, जिससे पाठक और दर्शक दोनों ही मंत्रमुग्ध हो जाते हैं।
16. Akira Movie Dialogue
फिल्म 'अकीरा' एक 2016 में बनी भारतीय हिंदी भाषा की एक्शन थ्रिलर फिल्म है, जिसे ए. आर. मुरुगदास ने सह-लेखित, निर्माण और निर्देशित किया। यह 2011 में तमिल भाषा में बनी फिल्म 'मौना गुरु' का रीमेक है, जिसमें सोनाक्षी सिन्हा, कोंकणा सेन शर्मा और अनुराग कश्यप मुख्य भूमिकाओं में हैं। फिल्म की प्रमुख फोटोग्राफी 2015 मार्च में शुरू हुई थी और इसे 2 सितंबर 2016 को विश्वभर में रिलीज़ किया गया था। संगीत विशाल-शेखर ने संगीत दिया था और इसका संगीत अगस्त 2016 में रिलीज़ हुआ था। फिल्म को समीक्षकों की ओर से मिश्रित प्रतिक्रिया मिली, जिसमें कास्ट के प्रदर्शनों की सराहना की गई लेकिन कहानी की लेखन पर आलोचना की गई।डायलाग के scene:
अकीरा कॉलेज के फंक्शन में स्पीच देने जा रहा था। लेकिन कुछ स्टूडेंट्स, जो अकीरा के खिलाफ थे, उन्होंने माइक की तार डिसकनेक्ट कर दी। अकीरा ने यह सब देखा, बिना कुछ कहे, उसने इशारों से बोलना शुरू किया। उसकी आंखों में आत्मविश्वास और चेहरे पर दृढ़ता थी। उसने कहा:
डायलाग- "अपाहिज वह नहीं होता जिसका कोई अंग नहीं हो। अपाहिज वह होता है जो अपने अंगों का इस्तेमाल नहीं करता। जो दूसरों की मदद नहीं करते, वे अपाहिज होते हैं। जो जुर्म को देखकर आंखें मूंद लेते हैं, वे अपाहिज होते हैं।"
अकीरा के इन शब्दों ने वहां मौजूद सभी लोगों के दिलों को छू लिया। उसका संदेश स्पष्ट था - असली अपाहिज वह है जो सही होते हुए भी गलत के खिलाफ खड़ा नहीं होता, जो अपनी शक्तियों का सही इस्तेमाल नहीं करता। उसकी स्पीच ने एक नई प्रेरणा दी और वहां मौजूद हर किसी को सोचने पर मजबूर कर दिया।
In Conclusion
ये था कुछ बेहतरीन Bollywood Movie Dialogues, भारतीय सिनेमा में कुछ ऐसी फिल्में हैं जो सामने उभरकर लोगों के दिल और दिमाग में छाप छोड़ जाती हैं। लोग हमेशा इनके बारे में चर्चा करते हैं, कि "वाह! क्या scene था, क्या फिल्म थी यार, मजा आ गया।" इन जबरदस्त फिल्मों के डायलॉग्स के साथ हमने इस पोस्ट या आर्टिकल को आप लोगों के सामने पेश किया है। आशा है कि आपको यह लेख पसंद आया होगा। मैंने इसे बेहतरीन ढंग से लिखने की कोशिश की है। अगर आपको यह पोस्ट सचमुच पसंद आया हो, तो कृपया कमेंट में जरूर बताएं। आपके फीडबैक से मुझे और बेहतरीन पोस्ट लिखने के लिए सहायता मिलेगी। इस आर्टिकल को पढ़ने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। आपका दिन शुभ हो।